Bihar Board Subject Hindi 10th Chapter 7 : बिहार बोर्ड कक्षा 10 विषय हिंदी गोधूलि भाग 2 पाठ 7. ‘हिरोशिमा’ लेखक ‘सच्चिदानंद हिराचंद वात्सयायन’ के द्वारा लिखा गया है | इस कविता के अर्थ और कविता के साथ पभी सवाल का जवाब आप इस आर्टिकल में जानेगें | जो आपको आपके परीक्षा में कभी मदद करने वाली हैं | साभी पाठ का लिंक आपको निचे मिल जायेगा |
सच्चिदानंद हिराचंद वात्स्यायन द्वारा लिखित “हिरोशिमा” एक मार्मिक निबंध है, जो 1945 में जापान के हिरोशिमा शहर पर गिराए गए परमाणु बम की विभीषिका को दर्शाता है। इस निबंध में लेखक ने युद्ध की भयावहता और मानवता पर इसके विनाशकारी प्रभावों का वर्णन किया है। हिरोशिमा बम विस्फोट ने लाखों लोगों की जान ली और अनगिनत लोगों को जीवनभर के लिए पीड़ित बना दिया। लेखक इस घटना के माध्यम से युद्ध की निरर्थकता और शांति की आवश्यकता पर बल देता है। यह निबंध मानवता के लिए एक गंभीर चेतावनी है, जो हमें युद्ध से बचने और शांति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
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Bihar Board Subject Hindi 10th Chapter 7
Board Name | Bihar School Examination Board |
Class | 10th |
Subject | Hindi ( गोधूलि भाग-2 ) |
Chapter | हिरोशिमा |
Writer | सच्चिदानंद हिराचंद वात्सयायन |
Section | काव्य खंड |
Language | Hindi |
Exam | 2025 |
Last Update | Last Weeks |
Marks | 100 |
हिरोशिमा
हिरोशिमा: विस्तृत परिचय
लेखक: सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’
पाठ का नाम: हिरोशिमा
परिचय:
“हिरोशिमा” पाठ सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ द्वारा लिखित एक महत्वपूर्ण निबंध है, जिसमें उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के समय जापान के हिरोशिमा नगर पर गिराए गए परमाणु बम की विनाशलीला का मार्मिक चित्रण किया है। यह पाठ मानवता पर हुए उस भयानक आघात का दस्तावेज है जिसने न केवल जापान बल्कि पूरे विश्व को झकझोर कर रख दिया।
विषय वस्तु:
6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर ‘लिटिल बॉय’ नामक परमाणु बम गिराया था। इस बम ने लाखों लोगों की जान ले ली और नगर को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया। इस निबंध में लेखक ने उस दिन की भयानक त्रासदी और उसके बाद के परिणामों का वर्णन किया है। उन्होंने बताया है कि कैसे एक ही पल में हिरोशिमा का हर जीवित प्राणी जलकर खाक हो गया और शहर एक राख के ढेर में तब्दील हो गया।
निबंध की प्रमुख बातें:
- विनाश का दृश्य:
लेखक ने उस भयानक दिन का विवरण दिया है, जब हिरोशिमा पर बम गिराया गया। लोग अपनी दिनचर्या में व्यस्त थे, किसी को अंदाजा भी नहीं था कि कुछ ही पलों में उनके जीवन का अंत होने वाला है। बम गिरते ही पूरा शहर आग और धुएं के गुबार में घिर गया। गर्मी इतनी तेज थी कि इंसानों के शरीर जलकर राख हो गए। - जीवित नरक:
लेखक ने उस समय के दृश्यों को “जीवित नरक” के रूप में वर्णित किया है। बम विस्फोट के बाद बच गए लोग जलती हुई लाशों और टूटे-फूटे घरों के बीच से गुजर रहे थे। उन्होंने पीड़ितों की पीड़ा, चीखें, और उनके जले हुए शरीरों का वर्णन किया है, जो हर संवेदनशील हृदय को झकझोर देता है। - परमाणु बम का प्रभाव:
इस पाठ में लेखक ने परमाणु बम के विकिरण से होने वाले भयंकर प्रभावों का भी जिक्र किया है। बम के विस्फोट के तुरंत बाद ही हजारों लोग मारे गए, लेकिन जो बच गए, वे भी विकिरण के कारण धीरे-धीरे मौत के मुंह में समा गए। लेखक ने विकिरण जनित बीमारियों और पीड़ा का भी वर्णन किया है, जिससे लोग पीड़ित होते रहे। - मानवता के लिए संदेश:
‘हिरोशिमा’ केवल एक ऐतिहासिक घटना का विवरण नहीं है, बल्कि यह पाठ मानवता के लिए एक चेतावनी भी है। लेखक ने इस निबंध के माध्यम से यह संदेश देने की कोशिश की है कि युद्ध और हिंसा से किसी का भी भला नहीं हो सकता। उन्होंने यह बताया है कि यदि मनुष्य अपने विनाशकारी हथियारों का प्रयोग बंद नहीं करेगा, तो यह पूरी पृथ्वी को नष्ट कर देगा।
निष्कर्ष:
“हिरोशिमा” पाठ मानवता के विनाश की एक भयानक कहानी है, जो हमें यह सिखाता है कि शांति और अहिंसा ही वह मार्ग है, जिससे विश्व का कल्याण हो सकता है। सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ ने इस निबंध के माध्यम से एक ऐसी त्रासदी का वर्णन किया है, जो न केवल इतिहास का हिस्सा है, बल्कि एक महत्वपूर्ण सीख भी है कि युद्ध में किसी की जीत नहीं होती, केवल मानवता की हार होती है।
हिरोशिमा से संबंधित महत्पूर्ण प्रश्न
प्रश्न 1: कविता के प्रथम अनुच्छेद में निकलने वाला सूरज क्या है? वह कैसे निकलता है?
उत्तर:
कविता के प्रथम अनुच्छेद में ‘सूरज’ आण्विक बम का प्रचंड गोला है। यह सूरज क्षितिज से न निकलकर धरती फाड़कर निकलता प्रतीत होता है। हिरोशिमा पर गिराए गए बम के प्रहार से उत्पन्न आग का गोला और उसकी लपटें पूरे क्षेत्र में फैल जाती हैं, जिससे भयावह दृश्य उत्पन्न होता है। यह दृश्य किसी साधारण सूर्योदय की तरह नहीं, बल्कि विनाशकारी प्रलय का प्रतीक है, जो नरसंहार करते हुए आता है।
प्रश्न 2: छायाएं दिशाहीन सब ओर क्यों पड़ती हैं? स्पष्ट करें।
उत्तर:
आण्विक बम विस्फोट से निकले प्रकाश से जो छायाएँ बनती हैं, वे दिशाहीन होती हैं क्योंकि यह प्रकाश चारों दिशाओं में फैलता है। सामान्य परिस्थितियों में सूर्य से निकलने वाली छायाएँ एक निश्चित दिशा में होती हैं, लेकिन बम विस्फोट के कारण छायाएँ हर दिशा में बिखर जाती हैं। विस्फोट के कारण क्षत-विक्षत लाशें चारों ओर पड़ी रहती हैं, जो दिशाहीन छायाओं का रूप ले लेती हैं। इस प्रकार, बम के रूप में निकली सूरज की छायाएँ दिशाहीन होकर सब ओर पड़ती हैं।
प्रश्न 3: प्रज्ज्वलित क्षण की दोपहरी से कवि का आशय क्या है?
उत्तर:
‘प्रज्ज्वलित क्षण की दोपहरी’ का आशय है कि जब हिरोशिमा पर बम गिरा, तो उसके विस्फोट से अचानक बहुत तेज प्रकाश निकला, जो चारों ओर फैल गया। इस तीव्र प्रकाश ने एक क्षण में ही दोपहर का दृश्य उत्पन्न कर दिया। यह अप्रत्याशित घटना इतनी तेजी से हुई कि लोगों को सोचने का मौका भी नहीं मिला। यह दृश्य एक क्षण में ही उभर कर गायब हो गया, जैसे दोपहर अचानक आकर तुरंत चली गई हो।
प्रश्न 4: मनुष्य की छायाएँ कहाँ और क्यों पड़ी हुई हैं?
उत्तर:
हिरोशिमा में मनुष्य की छायाएँ धरती पर दिशाहीन होकर सब ओर पड़ी हुई हैं। जहाँ-तहाँ दीवारों, टूटी-फूटी सड़कों, और पत्थरों पर ये छायाएँ मिलती हैं। आण्विक विस्फोट इतनी तीव्रता से हुआ कि लोग उसी स्थान पर मर गए जहाँ वे खड़े थे। उनकी लाशें सट गईं और उन स्थानों पर छायाएँ बन गईं, जो आज भी वहाँ के भयानक अतीत की साक्षी हैं।
प्रश्न 5: हिरोशिमा में मनुष्य की साखी के रूप में क्या है?
उत्तर:
हिरोशिमा में आज भी मनुष्य की साखी के रूप में जले हुए पत्थर, दीवारें, और अन्य निशानियाँ मौजूद हैं। पत्थरों, टूटी-फूटी सड़कों, और घरों की दीवारों पर छायाएँ और निशान मनुष्य के अतीत के दर्दनाक अनुभवों की गवाही देते हैं। ये सब उस विनाश का प्रमाण हैं जो हिरोशिमा पर आण्विक बम गिरने से हुआ था, और ये आज भी उस अमानवीय कृत्य की याद दिलाते हैं।
6. व्याख्या:
(क) “एक दिन सहसा / सूरज निकता”
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि अज्ञेय द्वारा रचित ‘हिरोशिमा’ कविता से ली गई हैं। इस अंश में कवि ने हिरोशिमा पर हुए आणविक बम विस्फोट के विनाशकारी प्रभाव का वर्णन किया है। ‘सहसा सूरज निकलता’ का अर्थ यहाँ अचानक हुए विस्फोट से है। यह सूरज कोई साधारण सूरज नहीं है, बल्कि बम के विस्फोट से उत्पन्न विनाश का प्रतीक है, जो धरती पर विनाश की लपटें लेकर आता है। यह विस्फोट इतना तीव्र और अप्रत्याशित था कि मानो सूरज अचानक से धरती फाड़कर निकल आया हो और समूची धरती को अपनी लपटों में ले लिया हो।
(ख) ‘काल-सूर्य के रथ के पहियों के ज्यों अरे टूट कर / बिखर गये हों / दसों दिशा में’
उत्तर:
इस पंक्ति में कवि ने आण्विक बम के विस्फोट को काल के रथ से तुलना की है। ‘काल-सूर्य’ का अर्थ है वह विनाशकारी शक्ति जो प्रलय का संकेत देती है। यहाँ पर ‘रथ के पहियों के अरे टूट कर’ का संकेत है कि जब हिरोशिमा पर बम गिरा, तो उसका प्रभाव ऐसा था जैसे काल का रथ आकर धरती पर बिखर गया हो। इस विस्फोट से हर दिशा में विनाश फैल गया, जैसे रथ के पहिए टूटकर चारों दिशाओं में बिखर गए हों। यह दृश्य इतना भयानक था कि पूरा शहर जैसे चकनाचूर हो गया हो।
(ग) ‘मानव का रचा हुआ सूरज / मानव को भाप बनाकर सोख गया।’
उत्तर:
इस पंक्ति में कवि ने आणविक बम को ‘मानव का रचा हुआ सूरज’ कहा है, जो मानवता के लिए विनाश का कारण बना। यह सूरज कोई साधारण सूरज नहीं है, बल्कि मानव द्वारा निर्मित बम है, जिसने हजारों लोगों को वाष्पित कर दिया। यहाँ ‘भाप बनाकर सोख गया’ का अर्थ है कि बम के विस्फोट से लोग एक क्षण में जलकर, वाष्प बनकर, हवा में विलीन हो गए। यह मानव निर्मित विनाश है, जिसने हजारों निर्दोष जीवनों को समाप्त कर दिया। कवि इस पंक्ति के माध्यम से उस भयावहता को उजागर करते हैं जो मानव द्वारा ही अपने विनाश के लिए उत्पन्न की गई थी।
7. आज के युग में इस कविता की प्रासंगिकता स्पष्ट करें ?
आज के युग में ‘हिरोशिमा’ कविता की प्रासंगिकता:
‘हिरोशिमा’ कविता, जो द्वितीय विश्व युद्ध में हुए हिरोशिमा पर आणविक बम के विस्फोट का मार्मिक चित्रण करती है, आज भी अत्यंत प्रासंगिक है। इस कविता के माध्यम से कवि अज्ञेय ने न केवल उस समय के विनाश को उजागर किया है, बल्कि यह भी बताया है कि युद्ध और हिंसा से केवल विनाश ही होता है।
आज के युग में, जब दुनिया में परमाणु हथियारों की होड़ जारी है, यह कविता हमें उन खतरों के प्रति जागरूक करती है जो मानवता के अस्तित्व के लिए चुनौती बने हुए हैं। यह कविता हमें सोचने पर मजबूर करती है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास का उपयोग यदि विनाशकारी हथियारों के निर्माण में किया जाए, तो वह मानवता के लिए कितना विनाशकारी साबित हो सकता है।
कविता का संदेश यह है कि शक्ति का सही उपयोग करना ही मानवता के लिए लाभकारी हो सकता है। आज जब दुनिया के विभिन्न हिस्सों में युद्ध और हिंसा हो रही है, यह कविता हमें शांति और अहिंसा के महत्व की याद दिलाती है। यह कविता वर्तमान समय में विश्व शांति, मानवीय मूल्यों, और सामूहिक विनाश के प्रति जागरूकता की आवश्यकता को दर्शाती है।
इस प्रकार, ‘हिरोशिमा’ कविता आज भी हमें युद्ध और हिंसा के खिलाफ खड़े होने, शांति की स्थापना करने, और मानवता को बचाने के लिए प्रेरित करती है।
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