Bihar Board Subject Hindi 10th Chapter 2 : बिहार बोर्ड कक्षा 10 गोधूलि भाग 2 काव्य खंड पाठ 2 “प्रेम-अयनी श्री राधिका, करील के कुंजन ऊपर वारों” कविता जो की “रसखान” के द्वारा लिखा गया हैं | इस आर्टिकल में कविता का अर्थ और परीक्षा में पूछे जाने वाली महत्पूर्ण सवालों का अध्याय करेगें जो आपके प्रतियोगिता परीक्षा के लिए अत्यंत ही उपयोगी होने वाला है |
काव्य खंड पाठ 2: “प्रेम-अयनी श्री राधिका, करील के कुंजन ऊपर वारों”
कवि: रसखान
काव्य का सार:
- रचनाकार: रसखान, एक प्रसिद्ध भक्ति कवि, जो कृष्ण भक्ति के लिए जाने जाते हैं।
- विषय: कविता में श्री राधा के प्रेम और उनके प्रति कृष्ण की भक्ति का वर्णन किया गया है।
- प्राकृतिक सौंदर्य: काव्य में करेल के कुंजन (वन) का सुंदर चित्रण है, जो राधा और कृष्ण के प्रेम को दर्शाता है।
- प्रेम का आदर्श: राधा को प्रेम की अयनी (आधार) माना गया है, और उनके प्रेम को दिव्य और अनुपम बताया गया है।
महत्व:
यह कविता भक्ति साहित्य का महत्वपूर्ण उदाहरण है, जो कृष्ण और राधा के प्रेम को एक दिव्य दृष्टिकोण से प्रस्तुत करती है।
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Bihar Board Subject Hindi 10th Chapter 2
Board Name | Bihar School Examination Board |
Class | 10th |
Subject | Hindi ( गोधूलि भाग-2 ) |
Chapter | प्रेम-अयनी श्री राधिका, करील के कुंजन ऊपर वारों |
Writer | रसखान |
Section | काव्य खंड |
Language | Hindi |
Exam | 2025 |
Last Update | Last Weeks |
Marks | 100 |
प्रेम-अयनी श्री राधिका, करील के कुंजन ऊपर वारों
काव्य खंड पाठ 2: “प्रेम-अयनी श्री राधिका, करील के कुंजन ऊपर वारों”
कवि: रसखान
काव्य की विशेषताएँ:
- कवि और काव्य की पहचान:
- रसखान एक प्रसिद्ध भक्ति कवि हैं, जो अपने शृंगार रस और कृष्ण भक्ति के लिए जाने जाते हैं। उनकी रचनाएँ मुख्यतः कृष्ण के प्रेम और उनके दिव्य गुणों की महिमा का बखान करती हैं।
- काव्य का विषय:
- इस कविता में रसखान ने श्री राधिका (राधा) और श्री कृष्ण के प्रेम को चित्रित किया है। कविता में राधा के प्रति कृष्ण के अटूट प्रेम और भक्ति को वर्णित किया गया है।
- काव्य की मुख्य बातें:
- प्रेम का वर्णन: कविता में राधिका के प्रेम की विशेषता को चित्रित किया गया है। रसखान ने राधिका के प्रेम को अत्यंत दिव्य और अनुपम बताया है।
- प्राकृतिक सौंदर्य: काव्य में करेल के कुंजन (करेल के वन) और उसके सौंदर्य का वर्णन है। ये प्राकृतिक स्थल राधा और कृष्ण के प्रेम को और भी सुंदरता प्रदान करते हैं।
- राधा की भव्यता: राधा को प्रेम की अयनी (आधार) माना गया है, और उनके प्रेम को एक अद्वितीय दृष्टिकोण से देखा गया है।
- काव्य की छवि:
- कविता में प्रेम की आध्यात्मिक और शृंगारी छवि प्रस्तुत की गई है। राधा और कृष्ण का प्रेम एक आदर्श प्रेम की तस्वीर पेश करता है, जिसमें एक दिव्य सौंदर्य और शांति का अनुभव होता है।
- काव्य में राधा की भक्ति और कृष्ण के प्रति प्रेम को अत्यंत उच्च स्तर पर दर्शाया गया है। यह प्रेम भक्ति का प्रतीक है जो भक्ति साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
- काव्य की महत्वता:
- रसखान की यह कविता भक्ति साहित्य का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो कृष्ण और राधा के प्रेम को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत करती है। इसमें प्रेम के भावनात्मक और आध्यात्मिक पक्ष को उजागर किया गया है।
- यह कविता न केवल साहित्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी एक अमूल्य धरोहर है, जो प्रेम और भक्ति के महत्व को दर्शाती है।
निष्कर्ष:
रसखान की कविता “प्रेम-अयनी श्री राधिका, करील के कुंजन ऊपर वारों” प्रेम और भक्ति की उत्कृष्ट अभिव्यक्ति है, जो राधा और कृष्ण के प्रेम को एक दिव्य और अद्वितीय दृष्टिकोण से प्रस्तुत करती है। यह काव्य भक्ति साहित्य की अमूल्य धरोहर है, जो प्रेम और भक्ति के महत्व को दर्शाती है।
“प्रेम-अयनी श्री राधिका, करील के कुंजन ऊपर वारों” से संबधित महत्पूर्ण प्रश्न उत्तर
प्रेम अयनी श्री राधिका
प्रश्न 1: कवि ने माली-मालिन किन्हें और क्यों कहा है?
उत्तर:
कवि ने माली और मालिन को कृष्ण और राधा कहा है। इस उपमा के माध्यम से कवि ने प्रेम को एक सुंदर वाटिका के रूप में चित्रित किया है, जिसमें कृष्ण और राधा उसकी सुन्दरता के संरक्षक हैं। माली और मालिन (माली और मालिन) वाटिका के रखवाले होते हैं और उसकी सुंदरता का विकास उनके प्रयासों पर निर्भर करता है। इसी तरह, राधा और कृष्ण के प्रेममय युग के दर्शन से ही इस प्रेम वाटिका का विकास और सौंदर्य प्रकट होता है। कवि ने राधा और कृष्ण को प्रेम की इस वाटिका का आधार मानते हुए उनकी दिव्यता और प्रेम की अनूठी सुंदरता को स्पष्ट किया है।
प्रश्न 2: द्वितीय दोहे का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट करें।
उत्तर:
द्वितीय दोहे का काव्य-सौंदर्य अत्यंत मार्मिक और प्रभावशाली है। इसमें सवैया छंद का प्रयोग किया गया है, जो भाव और भाषा की सरलता, सहजता, और मोहकता को दर्शाता है। कविता की भाषा में ब्रजभाषा की मिठास और सहजता देखी जा सकती है, साथ ही तद्भव और तत्सम शब्दों का सामासिक रूप भी मिलते हैं। इस कविता में संगीतमयता की झलक है, और अलंकार की योजना में दृष्टांत अलंकार, अनुप्रास, और रूपक का समागम प्रशंसनीय है। कवि ने माधुर्यगुण के साथ वैराग्य रस का भी मनोभावन चित्रण किया है, जो काव्य को विशेष बनाता है।
प्रश्न 3: कृष्ण को चोर क्यों कहा गया है? कवि का अभिप्राय स्पष्ट करें।
उत्तर:
कवि ने कृष्ण को चोर इसलिए कहा है क्योंकि कृष्ण और राधा के प्रेम में मनमुग्ध हो जाने के बाद, कवि का मन पूरी तरह से राधा-कृष्ण के युगल में रम गया है। कवि का मन और चित्त कृष्ण की मोहनी छवि द्वारा चुराया गया है। इस चित्त को कृष्ण ने अपनी मोहनी मूरत से इस प्रकार आकर्षित किया है कि कवि ने महसूस किया कि उनका शरीर और मन खाली हो गया है। कृष्ण की छवि ने कवि को पूरी तरह से प्रभावित किया है, जिससे उनका ध्यान और स्मृति पूरी तरह से कृष्ण के प्रति केंद्रित हो गई है, और अन्य किसी चीज़ की सुध नहीं रह गई है।
प्रश्न 4: सवैये में कवि की कैसी आकांक्षा प्रकट होती है? भावार्थ बताते हुए स्पष्ट करें।
उत्तर:
सवैये में कवि की आकांक्षा स्पष्ट रूप से प्रकट होती है कि कृष्ण की लीला की छवि अन्य किसी दृश्य के मुकाबले में बेकार लगती है। कवि कृष्ण की लकुटी और कामरिया (बांसुरी और राधा के साथ प्रेम) को अत्यधिक महत्व देते हैं और उनके चराने की कृष्ण लीला को आठों सिद्धियों और नवों निधियों से भी अधिक मूल्यवान मानते हैं। कवि की आकांक्षा है कि वे ब्रज के वनों को करोड़ों इन्द्र के धाम से भी अधिक मूल्यवान मानते हैं। कृष्ण के प्रेममय जीवन की छवि के सामने सभी सांसारिक सुख और धन तुच्छ प्रतीत होते हैं। इस प्रकार, कवि ने कृष्ण के प्रेम को सर्वोपरि मानते हुए अपनी पूर्ण श्रद्धा और समर्पण की भावना व्यक्त की है।
प्रश्न 5: व्याख्या करें
(क) मन पावन चितचोर, पलक ओट नहिं करि सकौं।
व्याख्या:
इस पंक्ति में कवि रसखान ने अपने प्रेम और भक्ति को सुंदर तरीके से व्यक्त किया है। कवि का मन पूरी तरह से श्री कृष्ण के प्रेम में डूबा हुआ है और उनकी पावन छवि को देखने के बाद उनकी सुध-बुध खो बैठा है। जब एक बार कृष्ण की दिव्य छवि मन को आकर्षित कर लेती है, तो उस छवि को आँखों से हटा पाना असंभव हो जाता है। कवि यह बताना चाहते हैं कि उनकी आँखें निरंतर कृष्ण के रूप को देखना चाहती हैं, और कृष्ण की छवि को पलक झपकाए बिना देखने की इच्छा उनके दिल में हमेशा रहती है। यह पंक्ति प्रेमिका के प्रियतम को अपनी आँखों में हमेशा बसाने की गहरी चाहत को व्यक्त करती है।
(ख) रसखानि कबौं इन आँखिन सौ ब्रज के बनबाम तझम निहारौं।
व्याख्या:
इस पंक्ति में कवि रसखान ने ब्रज की सुंदरता और उसकी दिव्यता के प्रति अपनी गहरी भक्ति और प्रेम को व्यक्त किया है। कवि कहते हैं कि ब्रज के बाग और तालाब इतने सुंदर हैं कि उनकी शोभा देखकर आँखें कभी थकती नहीं हैं। वे ब्रज की अनुपम सुंदरता को देखकर निरंतर उसे निहारने की आकांक्षा प्रकट करते हैं। कवि ब्रज की इस अद्भुत सुंदरता के सामने इन्द्रलोक को भी न्योछावर करने की भावना व्यक्त करते हैं, जो ब्रज की दिव्यता को और भी उजागर करता है। इस पंक्ति के माध्यम से कवि यह बताना चाहते हैं कि ब्रज की सुंदरता और कृष्ण की लीला स्थल की शोभा इतनी अद्वितीय है कि उसकी तुलना किसी और चीज़ से नहीं की जा सकती।
प्रश्न 6: ‘प्रेम-अयनि श्री राधिका’ पाठ का भाव/सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
सारांश:
कवि रसखान की कविता “प्रेम-अयनि श्री राधिका” में श्री कृष्ण और राधा के प्रेम को अत्यंत भावनात्मक और दिव्य दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया है। कवि ने राधा को प्रेम का खजाना और कृष्ण को प्रेम का अवतार बताया है। वे दोनों ही प्रेम की बगिया के माली और मालिन हैं, जो प्रेम को संवारने और खिलाने का कार्य करते हैं।
कवि के अनुसार, कृष्ण की दिव्य छवि ने उनके मन को पूरी तरह से मोहित कर लिया है। जैसे एक तीर धनुष से छूटने के बाद वापस नहीं लौटता, वैसे ही कवि का मन कृष्ण की ओर एक बार जाकर वापस किसी और ओर नहीं जाता। कृष्ण ने कवि के मन को चुरा लिया है, और अब उनका मन केवल कृष्ण की ओर ही लगा रहता है।
कवि अपनी कविता में ब्रज भूमि और कृष्ण की लीलाओं के प्रति अपनी गहरी श्रद्धा और समर्पण को व्यक्त करते हैं। वे कहते हैं कि यदि उन्हें कृष्ण की लकुटी और कंबल मिल जाएं, तो वे तीनों लोकों का राज्य भी छोड़ देंगे। यदि ये वस्तुएं न मिलें, तो वे नंद बाबा की गायों की सेवा करने को भी तत्पर हैं और इसके लिए सभी सिद्धियों और निधियों को छोड़ देंगे। कवि के अनुसार, ब्रज की वन-वन, बाग-बगिचों, और घाटों की सुंदरता इतनी अद्वितीय है कि वे इन सभी को देखना चाहते हैं और इस सौंदर्य पर इन्द्रलोक को भी न्योछावर कर देंगे।
रसखान की यह कविता उनके कृष्ण के प्रति अपार प्रेम और भक्ति को दर्शाती है, जिसमें वे श्री कृष्ण की हर एक वस्तु और ब्रज भूमि के प्रति अपनी अनन्य भक्ति और समर्पण की भावना को प्रकट करते हैं।
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