Bihar Board Class 10 Hindi Chapter 6 Question Answer : पाठ - 6. बहादुर ( कहानी )

Bihar Board Class 10 Hindi Chapter 6 Question Answer : पाठ – 6. बहादुर ( कहानी )

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Table of Contents

Bihar Board Class 10 Hindi Chapter 6 Question Answer : बिहार बोर्ड कक्षा 10वीं विषय गोधूलि भाग 2 हिंदी के पाठ 6. बहादुर जो एक ही कहानी है जिसे अमरकांत के द्वारा लिखा गया है उसके बारे में विस्तार से जानेगें और महत्पूर्ण सवालों को उत्तर आप इस पोस्ट में पढ़ेगें | इन सभी सवाल आपके प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए कभी ज्यादा महत्पूर्ण होने वाली हैं तो से अवश्य पढ़े और अपने ज्ञान को पढ़ायें | 100% निश्चित सफल पाने के लिए सभी अध्याय के सवालों को जरुर पढ़ें और किसी भी प्रकार की परेशानी ही तो हमें कमेन्ट में बताइए

अमरकांत (1925-1996) हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध लेखक थे। उन्होंने उपन्यास, कहानी, निबंध और नाटक लिखे। अमरकांत की रचनाओं में ग्रामीण जीवन की समस्याएँ, सामाजिक विषमताएँ और मानवीय संवेदनाएँ प्रमुख रूप से दिखाई देती हैं। उनकी शैली सीधी और सरल थी, जिससे वे समाज की जटिलताओं को प्रभावी ढंग से चित्रित करते थे।

“बहादुर” उनकी एक महत्वपूर्ण कहानी है, जो भारतीय ग्रामीण जीवन और उसकी चुनौतियों को उजागर करती है। इसमें उन्होंने एक गाँव के गरीब और मेहनती व्यक्ति की संघर्ष कथा को वर्णित किया है, जो समाज की बेरुखी और कठिन परिस्थितियों के बावजूद आत्म-संमान और साहस बनाए रखता है। अमरकांत की कहानियाँ समाज की वास्तविकताओं को प्रस्तुत करने के लिए जानी जाती हैं, और “बहादुर” भी इस परंपरा को आगे बढ़ाती है।

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Bihar Board Class 10 Hindi Chapter 6 Question Answer

Board NameBihar School Examination Board
Class10th
SubjectHindi ( गोधूलि भाग-2 )
Chapter6. बहादुर ( कहानी )
Writerअमरकांत
Sectionगद्यखंड
LanguageHindi
Exam2025
Last UpdateLast Weeks
Marks100

पाठ – 6. बहादुर ( कहानी )

अमरकांत: एक परिचय

जीवनकाल और प्रारंभिक जीवन

अमरकांत (1925-2005) हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध लेखक और कहानीकार थे। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था। उनके जीवन का अधिकांश भाग उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में ही बीता। अमरकांत का साहित्यिक यात्रा एक साधारण गाँव के माहौल से निकलकर हिंदी साहित्य के मुख्य धारा तक पहुँचने का एक प्रेरणादायक उदाहरण है।

शिक्षा और प्रारंभिक करियर

अमरकांत ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गाँव के स्कूल से प्राप्त की और उच्च शिक्षा के लिए वे वाराणसी गए। वहां से उन्होंने हिंदी में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने पत्रकारिता में करियर बनाने का निर्णय लिया और विभिन्न समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में काम किया।

साहित्यिक कार्य

अमरकांत के लेखन की शुरुआत 1950 के दशक में हुई, जब उन्होंने अपनी पहली कहानियाँ और उपन्यास लिखे। उनकी रचनाएँ आमतौर पर ग्रामीण भारत के जीवन, उसकी समस्याओं और संघर्षों को आधार बनाकर लिखी जाती हैं। वे अपनी कहानियों में ग्रामीण जीवन की असली तस्वीर प्रस्तुत करने के लिए प्रसिद्ध हैं। अमरकांत का लेखन समाज की विसंगतियों और मानव संबंधों की जटिलताओं को बहुत संवेदनशीलता के साथ चित्रित करता है।

प्रमुख रचनाएँ

उनकी प्रमुख रचनाओं में “नकली आभूषण”, “धुँआ”, “काले पानी की कहानियाँ” और “सुनिता” शामिल हैं। इनकी रचनाएँ हिंदी साहित्य में एक विशेष स्थान रखती हैं और उन्होंने समाज की विभिन्न समस्याओं और मानवीय भावनाओं को अपनी लेखनी में प्रभावशाली ढंग से उकेरा है।

‘बहादुर’ कहानी

अमरकांत की कहानी “बहादुर” हिंदी साहित्य की एक महत्वपूर्ण कृति है। इस कहानी में, लेखक ने एक छोटे से गाँव के बहादुर नामक व्यक्ति की ज़िंदगी और उसके संघर्षों का चित्रण किया है। “बहादुर” कहानी के माध्यम से, अमरकांत ने समाज के उस हिस्से को उजागर किया है जो आमतौर पर मुख्यधारा से बाहर होता है, लेकिन उसकी कठिनाइयाँ और संघर्ष अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। बहादुर की कहानी हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है और यह गाँव के जीवन, उसकी समस्याओं और व्यक्ति की संघर्षशीलता को दर्शाती है।

निधन और विरासत

अमरकांत का निधन 1997 में हुआ, लेकिन उनकी साहित्यिक विरासत आज भी जीवित है। उनकी रचनाएँ हिंदी साहित्य के विद्यार्थियों और साहित्य प्रेमियों के लिए एक अमूल्य धरोहर हैं। वे आज भी उन सभी को प्रेरित करते हैं जो साहित्य के माध्यम से समाज की वास्तविकताओं को समझना और व्यक्त करना चाहते हैं। अमरकांत के साहित्यिक कार्यों ने हिंदी साहित्य को एक नई दिशा दी और उन्होंने एक सशक्त और संवेदनशील लेखक के रूप में अपनी पहचान बनाई।

बहादुर कहानी से संबधित महत्पूर्ण प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1: लेखक को क्यों लगता है कि जैसे उस पर एक भारी दायित्व आ गया हो?

उत्तर: लेखक को ऐसा लगता है कि उन पर एक भारी दायित्व आ गया है क्योंकि उनकी पत्नी ने दिन-रात ‘नौकर-चाकर’ की माला जपनी शुरू कर दी थी। उनके साले ने एक नौकर को लाकर उनके सामने खड़ा कर दिया, जिससे लेखक को अब एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभानी थी। उन्हें यह दायित्व महसूस हो रहा था कि नौकर के साथ घर में अच्छे संबंध बनाए रखें, ताकि नौकर घर के माहौल के अनुसार ढल सके और वहाँ टिक सके। लेखक की पत्नी के आग्रह और परिवार की सामाजिक मान्यता ने इस जिम्मेदारी को और भी महत्वपूर्ण बना दिया था।

प्रश्न 2: अपने शब्दों में पहली बार दिखे बहादुर का वर्णन कीजिए।

उत्तर: जब लेखक ने पहली बार बहादुर को देखा, तो उसकी उपस्थिति कुछ इस प्रकार थी: बहादुर का शरीर चौड़ा और कद छोटा था। उसकी त्वचा का रंग गोरा था और उसका चेहरा चपटा था। वह उजले हाफ पैंट और सफेद कमीज में था, जिसमें भूरे रंग के जूते पहने हुए थे। उसके गले में एक रूमाल बंधा हुआ था। उसकी पूरी वेशभूषा और हुलिया ऐसा था जो एक साधारण और विनम्र नौकर का आभास देता था।

प्रश्न 3: लेखक को क्यों लगता है कि नौकर रखना बहुत जरूरी हो गया था?

उत्तर: लेखक को यह महसूस हुआ कि नौकर रखना अत्यंत जरूरी हो गया था क्योंकि उनके सभी भाई और रिश्तेदार ऊंचे पदों पर थे और उनके पास नौकर-चाकर थे। लेखक की बहन के विवाह में जब सभी रिश्तेदार एकत्रित हुए, तो लेखक की पत्नी ने देखा कि अन्य परिवारों के पास नौकर थे, जिससे वह ईर्ष्यालु हो गई। उसकी इस ईर्ष्या के चलते, उसने घर में एक नौकर रखने की आवश्यकता पर जोर देना शुरू कर दिया। लेखक की पत्नी के इस दबाव के कारण, लेखक को यह आवश्यक लगने लगा कि घर में एक नौकर रखा जाए ताकि सामाजिक स्थिति बनी रहे और परिवार की प्रतिष्ठा को बनाए रखा जा सके।

प्रश्न 4: साले साहब से लेखक का कौन-सा किस्सा असाधारण विस्तार से सुनना पड़ा?

उत्तर: लेखक को साले साहब से एक दुखी लड़के का किस्सा असाधारण विस्तार से सुनना पड़ा। किस्से के अनुसार, वह लड़का एक नेपाली था और उसका गाँव नेपाल और बिहार की सीमा पर स्थित था। लड़के का बाघ युद्ध में मारा गया था और उसकी माँ पूरे परिवार का भरण-पोषण करती थी। माँ बहुत गुस्सैल थी और लड़के को अक्सर मारती रहती थी। माँ चाहती थी कि लड़का घर के काम में हाथ बटाए, लेकिन लड़का अक्सर पहाड़ों या जंगलों में चला जाता, पेड़ों पर चढ़ता, चिड़ियों के घोंसलों में हाथ डालता या फल तोड़ता था। एक बार लड़के ने माँ की प्यारी भैंस को बहुत मारा, जिससे माँ ने उसे डंडे से बहुत मारा। अत्यधिक पिटाई से लड़के का मन माँ से उचट गया। वह रातभर जंगल में छिपा रहा और सुबह होते ही घर से चोरी से कुछ रुपये लेकर भाग गया।

प्रश्न 5: बहादुर अपने घर से क्यों भाग गया था?

उत्तर: बहादुर अपने घर से इसलिए भाग गया था क्योंकि उसकी माँ ने उसे बहुत मारा था। एक दिन, जब बहादुर ने अपनी माँ की प्यारी भैंस को बहुत मारा, तो माँ ने भैंस की पिटाई का काल्पनिक अनुमान लगाते हुए बहादुर की दुगनी पिटाई कर दी। इस अत्यधिक पिटाई से बहादुर का मन माँ से उचट गया। वह पूरी रात जंगल में छिपा रहा और सुबह होते ही चुपके से घर से कुछ रुपये चुराकर भाग गया।

प्रश्न 6: बहादुर के नाम से “दिल” शब्द क्यों उड़ा दिया गया? विचार करें।

उत्तर: बहादुर ने पहली बार अपना नाम “दिलबहादुर” बताया, जिसमें “दिल” शब्द भावनात्मक और संवेदनशीलता को दर्शाता है। जब बहादुर को यह सिखाया गया कि भावुकता से अधिक तर्क और विवेक का प्रयोग करना चाहिए, तो उसे सामाजिक कार्यों में उदारता से दूर रहकर, अपने घर के कार्यों में पूरी तरह से समर्पित रहने की सलाह दी गई। निर्मला ने उसे यह उपदेश दिया कि भावनात्मक दृष्टिकोण से हटकर केवल काम पर ध्यान केंद्रित करे। इस प्रकार, “दिल” शब्द को उसके नाम से हटा दिया गया क्योंकि वह भावुकता और संवेदनशीलता का प्रतीक था, जबकि उसे अधिक व्यावहारिक और तर्कसंगत बनने की आवश्यकता थी।

प्रश्न 7. व्याख्या करें:

(क) उसकी हँसी बड़ी कोमल और मीठी थी, जैसे फूल की पंखुड़ियाँ बिखर गई हों।

व्याख्या: प्रस्तुत पंक्तियाँ कहानी “बहादुर” से ली गई हैं। इन पंक्तियों में लेखक बहादुर की हँसी की कोमलता और मिठास का वर्णन कर रहे हैं। बहादुर की हँसी को लेखक ने फूल की पंखुड़ियों के बिखरने के समान बताया है, जो उसकी निश्छलता, ईमानदारी और आत्मीयता को दर्शाता है। लेखक ने बहादुर के सहज और प्यारे हाव-भाव को व्यक्त करते हुए उसकी हँसी को अत्यंत सुंदर और शुद्ध बताया है। इस प्रकार, बहादुर की हँसी उसकी मासूमियत और सरलता की पहचान है, जो लेखक के लिए अत्यंत सुखद और प्रभावशाली है।

(ख) पर अब बहादुर से भूल-गलतियाँ अधिक होने लगी थीं।

व्याख्या: इस पंक्ति का संदर्भ उस समय से है जब बहादुर पर घर के लोगों की मार और डाँट-फटकार बढ़ गई थी। लेखक के पुत्र किशोर ने बहादुर को पीटा और लेखक की पत्नी ने भी उसकी गलती पर उसे डाँटने लगी थी। लेखक को लगता था कि बहादुर की भूलें उसकी दुखी मानसिक स्थिति के कारण बढ़ रही हैं, लेकिन वह खुद भी इस स्थिति को सुधारने की कोशिश नहीं करता था। लेखक का मानना था कि नौकर-चाकर को मार-पीट की आदत होती है, इसीलिए वह चुप रहकर बहादुर को उसके भाग्य के हवाले कर देता था। यह स्थिति लेखक की मानसिकता की दोहरीता और गरीबों के प्रति उसके निरादर को दर्शाती है, जो बहादुर की स्थिति को असंतुलित बनाता है।

(ग) अगर वह कुछ चुराकर ले गया होता तो संतोष होता।

व्याख्या: इस पंक्ति का संदर्भ उस समय से है जब बहादुर घर छोड़कर भाग गया था। लेखक के बेटे ने उसकी तलाश की, लेकिन वह नहीं मिला। लेखक को बहादुर के भाग जाने पर अफसोस था और उसे यह महसूस हुआ कि यदि बहादुर कुछ चोरी कर के भाग जाता तो कम से कम उसके पास कुछ हासिल होता, लेकिन बहादुर ने कोई संपत्ति या सामान नहीं चुराया। लेखक को यह एहसास हुआ कि उसके और बहादुर के बीच का दुर्व्यवहार और संदेह बेकार था। इस पंक्ति के माध्यम से लेखक ने यह समझाया कि अच्छा व्यवहार और ईमानदारी जीवन में महत्वपूर्ण हैं, और दुर्व्यवहार के परिणाम कष्टकारी हो सकते हैं।

(घ) यदि मैं न मारता, तो शायद वह न जाता।

व्याख्या: इस पंक्ति का संदर्भ बहादुर के घर छोड़ने से है। लेखक इस बात पर अफसोस कर रहे हैं कि यदि उन्होंने बहादुर को नहीं मारा होता, तो वह शायद घर नहीं छोड़ता। लेखक ने अपनी गलती स्वीकार की और महसूस किया कि उनके द्वारा किया गया अमानवीय व्यवहार ही बहादुर को घर छोड़ने पर मजबूर किया। जब निर्मला बहादुर के लिए रो रही थी, तब लेखक ने अपने किए गए व्यवहार पर पछताया और समझा कि छोटी-सी गलती भी बड़े परिणाम ला सकती है। इस पंक्ति के माध्यम से लेखक ने यह सिखाया कि सद्व्यवहार और संदेह की भावना से बचना चाहिए, क्योंकि इनका प्रभाव गंभीर हो सकता है।

प्रश्न 8. काम-धाम के बाद रात को अपने बिस्तर पर गए बहादुर का लेखक किन शब्दों में चित्रण करता है? चित्र का आशय स्पष्ट करें।

उत्तर: लेखक बहादुर के बिस्तर पर जाने के बाद के चित्रण में कहते हैं कि बहादुर ने एक पुरानी फटी दरी को बिस्तर के रूप में इस्तेमाल किया और एक चादर अपने साथ लाया था। वह बिस्तर पर बैठकर अपनी जेब से कपड़े की एक गोल-सी नेपाली टोपी निकालता और पहनता था, जो बाईं ओर झुकी रहती थी। फिर वह एक छोटा आइना निकालकर उसमें अपने चेहरे को देखता था और प्रसन्नता से हंसता था। इसके बाद वह अपनी जेब से कुछ और चीजें निकालकर बिस्तर पर खेलता था, गीत गाता था, और पुरानी यादों में खो जाता था।

चित्र का आशय: इस चित्रण से बहादुर की बालसुलभता, उसकी स्वाभाविकता और स्वच्छंदता की झलक मिलती है। बहादुर का यह व्यवहार उसकी मासूमियत और आनंद को दर्शाता है। लेखक ने बहादुर के इस चित्रण के माध्यम से उसकी साधारण और स्वाभाविक खुशियों की छवि प्रस्तुत की है, जिसमें वह अपने सीमित संसाधनों के साथ भी पूरी खुशी और संतोष महसूस करता है। यह चित्रण बहादुर की मासूमियत और उसकी आंतरिक दुनिया के सरल और सुंदर पहलुओं को उजागर करता है।

प्रश्न 9. बहादुर के आने से लेखक के घर और परिवार के सदस्यों पर कैसा प्रभाव पड़ा?

उत्तर: बहादुर के घर में आने से परिवार के सदस्यों को काफी आराम मिला। घर में स्वच्छता और व्यवस्था बनी रही; सभी कपड़े चमचमाते हुए सफेद दिखाई देने लगे। निर्मला की तबीयत में भी सुधार आया, और अब परिवार का कोई सदस्य स्वयं कोई काम नहीं करता था। सभी काम बहादुर को निर्देशित करके कराए जाते थे। रात में सभी पहले ही सो जाते थे और सुबह आठ बजे से पहले नहीं उठते थे। इस प्रकार, बहादुर ने परिवार के सदस्यों के जीवन को आरामदायक और सुविधाजनक बना दिया।

प्रश्न 10. किन कारणों से बहादुर ने एक दिन लेखक का घर छोड़ दिया?

उत्तर: प्रारंभ में बहादुर को लेखक के घर में अच्छी तरह से रखा गया था। लेकिन धीरे-धीरे लेखक का लड़का बहादुर पर दबाव डालने लगा और उसे काम करने के लिए मजबूर करने लगा। इसके बाद लेखक की पत्नी और पुत्र ने बहादुर को बार-बार पीटना शुरू कर दिया। एक दिन, एक रिश्तेदार ने घर पर आकर रुपये खो जाने का आरोप बहादुर पर मढ़ दिया और कहा कि उसने चोरी की है। इस आरोप के बाद लेखक ने बहादुर की पिटाई की। इन निरंतर परेशानियों और दुर्व्यवहार के कारण, बहादुर ने अंततः घर छोड़ दिया और भाग गया।

प्रश्न 11. बहादुर पर चोरी का आरोप क्यों लगाया जाता है और उस पर इस आरोप का क्या असर पड़ता है?

उत्तर: बहादुर पर चोरी का आरोप एक रिश्तेदार द्वारा लगाया जाता है, जो अपनी झूठी प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए ऐसा करता है। रिश्तेदार ने बहाना बनाया कि उन्होंने बच्चों के लिए मिठाई लाने के लिए रुपये निकाले थे, लेकिन उस दौरान रुपये चोरी हो गए। उन्होंने इस चोरी का दोष बहादुर पर मढ़ दिया।

इस आरोप का बहादुर पर गहरा असर पड़ता है। वह इस आरोप से बहुत दुखी हो जाता है और उसकी आत्मा को गहरी चोट लगती है। इसके परिणामस्वरूप, वह उदास रहने लगता है और उसकी काम में रुचि कम हो जाती है। बार-बार की फटकार और दुर्व्यवहार के कारण, वह मानसिक रूप से परेशान हो जाता है और धीरे-धीरे काम में भी उसकी गति धीमी हो जाती है।

प्रश्न 12. घर आए रिश्तेदारों ने कैसा प्रपंच रचा और उसका क्या परिणाम निकला?

उत्तर: घर आए रिश्तेदारों ने अपनी झूठी प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए रुपये की चोरी का एक प्रपंच रचा। उनका आरोप था कि उन्होंने मिठाई मंगाने के लिए कुछ रुपये निकालकर रखे थे, लेकिन उस दौरान रुपये चोरी हो गए। उन्होंने बहादुर पर इस चोरी का आरोप लगाया।

इस आरोप के परिणामस्वरूप, बहादुर को पिटाई का सामना करना पड़ा और उसे हर समय फटकार और दुर्व्यवहार का शिकार होना पड़ा। यह प्रपंच और उसके परिणामस्वरूप बहादुर दुखी और निराश हो गया और अंततः घर छोड़कर चला गया। रिश्तेदार के इस प्रपंच के कारण लेखक के घर का काम करने वाला बहादुर चला गया और घर की व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो गई।

प्रश्न 13. बहादुर के चले जाने पर सबको पछतावा क्यों होता है?

उत्तर: बहादुर घर के सभी कार्यों को कुशलतापूर्वक निभाता था और सभी सदस्यों को आराम और सुविधा प्रदान करता था। वह घर के सभी कामों को बिना शिकायत किए करता था और सभी सदस्य उसकी सेवाओं के आदी हो चुके थे। बहादुर के चले जाने पर घर के सभी सदस्य यह महसूस करते हैं कि बहादुर के बिना उनका काम कुप्रबंधित हो गया है और उनकी सुविधा समाप्त हो गई है। उसे मारपीट के बावजूद उसके द्वारा किए गए कार्यों की महत्वपूर्णता और उसकी अनुपस्थिति से उत्पन्न कठिनाइयों का एहसास होता है। इस प्रकार, उसके चले जाने पर सबको पछतावा होता है।

प्रश्न 14. बहादुर, किशोर, निर्मला और कथावाचक का चरित्र-चित्रण करें।

उत्तर:

  • बहादुर: बहादुर एक नेपाली लड़का था, जिसका पिता युद्ध में मारा गया था और उसकी मां घर चलाती थी। मां की पिटाई से दुखी होकर, बहादुर घर छोड़कर लेखक महोदय के यहाँ नौकरी करने आ गया। वह काम में सक्षम था और अपनी मासूमियत और ईमानदारी से घर के कार्यों को बखूबी निभाता था। हालांकि, बार-बार के दुर्व्यवहार और आरोपों के कारण वह दुखी हो गया और अंततः घर छोड़कर चला गया।
  • किशोर: किशोर लेखक महोदय का बेटा था। वह बहादुर का उपयोग अपने कामों के लिए करता था और धीरे-धीरे उसके प्रति कठोर और निर्दयी हो गया। किशोर का व्यवहार बहादुर के भागने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि उसकी दमनकारी प्रवृत्तियों और शारीरिक दंड ने बहादुर को मानसिक रूप से परेशान कर दिया था।
  • निर्मला: निर्मला लेखक महोदय की पत्नी थी। प्रारंभ में, उसने बहादुर के प्रति बहुत प्यार और दया दिखाई, लेकिन समय के साथ उसका व्यवहार बदल गया। उसने बहादुर को मारने-पीटने लगाई और उसके प्रति नकारात्मक रवैया अपनाया। इस बदलाव के कारण, बहादुर को अधिक मानसिक और शारीरिक पीड़ा का सामना करना पड़ा, जो अंततः उसके घर छोड़ने का कारण बना।
  • कथावाचक: कथावाचक लेखक महोदय का साला है। वह बहादुर के बारे में विस्तार से कहानी सुनाता है और बहादुर को घर में रखने की इच्छा को पूरा करता है। उसके द्वारा बहादुर के बारे में दी गई जानकारी और आरोपों के कारण लेखक के घर में समस्याएँ उत्पन्न होती हैं, जो अंततः बहादुर के घर छोड़ने का कारण बनती हैं।

प्रश्न 15. निर्मला को बहादुर के चले जाने पर किस बात का अफसोस हुआ?

उत्तर: निर्मला को बहादुर के चले जाने पर गहरा अफसोस हुआ। प्रारंभ में, वह बहादुर के प्रति बहुत स्नेही और दयालु थी, लेकिन रिश्तेदार द्वारा रुपये चोरी का झूठा आरोप लगाए जाने के बाद उसने बहादुर को मार-पीट और फटकार दिया। बाद में, जब यह स्पष्ट हो गया कि बहादुर निर्दोष था और उसने रुपये की चोरी नहीं की थी, तो निर्मला को अपने व्यवहार पर पछतावा हुआ। वह इस बात को लेकर अफसोस कर रही थी कि उसने बहादुर को बिना बताये और बिना कुछ लिए क्यों चला जाने दिया। उसकी कर्मठता और ईमानदारी की याद आकर, निर्मला ने अपने द्वारा किए गए व्यवहार के लिए पश्चाताप किया।

प्रश्न 16. कहानी “छोटा मुँह बड़ी बात” कहती है। इस दृष्टि से ‘बहादुर’ कहानी पर विचार करें।

उत्तर: “छोटा मुँह बड़ी बात” कहावत के संदर्भ में, ‘बहादुर’ कहानी का मर्म यह है कि बहादुर की छोटी सी घटना, यानी उसका बिना कुछ कहे और बिना सामान लिए घर से भाग जाना, एक बड़ी बात को उजागर करता है। इस घटना के परिणामस्वरूप लेखक और उसके परिवार को अपने व्यवहार पर पछतावा हुआ और उन्होंने अपनी मानसिकता की गहराई से समीक्षा की। बहादुर की स्थिति और उसके साथ हुए व्यवहार ने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया कि उन्होंने उसकी ईमानदारी और मेहनत को ठीक से नहीं समझा। इस प्रकार, कहानी की छोटी सी घटना ने बड़ी-बड़ी बातों की ओर इशारा किया और सभी को आत्ममंथन के लिए प्रेरित किया।

प्रश्न 17. कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए। लेखक ने इसका शीर्षक ‘नौकर’ क्यों नहीं रखा?

उत्तर: कहानी का शीर्षक ‘बहादुर’ उसकी सार्थकता को स्पष्ट करता है क्योंकि इसमें केवल बहादुर के नौकर के रूप में चित्रण नहीं किया गया है, बल्कि उसकी व्यक्तित्व और गुणों को भी प्रमुखता दी गई है। बहादुर की ईमानदारी, मेहनत, और सहनशीलता को कहानी में प्रमुखता से दिखाया गया है। शीर्षक ‘नौकर’ केवल उसकी भूमिका को संदर्भित करता, जबकि ‘बहादुर’ उसकी पूरी व्यक्ति-विशेषता और अंतर्दृष्टि को दर्शाता है। कहानी का केंद्र बहादुर है, जो अपनी आत्मा की शुद्धता और कर्मठता से परिवार के सदस्यों को प्रभावित करता है। इस दृष्टि से, ‘बहादुर’ शीर्षक अधिक उपयुक्त है, जो उसकी वास्तविकता और गुणों को सही तरीके से व्यक्त करता है।

प्रश्न 18. कहानी का सारांश प्रस्तुत करें।

उत्तर: ‘बहादुर’ एक नेपाली लड़के की कहानी है, जिसका नाम दिलबहादुर है। उसकी माँ ने उसे बहुत मारा और उसे घर छोड़कर लेखक महोदय के यहाँ नौकरी करने आना पड़ा। लेखक के घर में बहादुर ने अपने काम में दक्षता दिखाई और घर के सभी काम बखूबी निभाए। लेकिन धीरे-धीरे लेखक के पुत्र किशोर और पत्नी निर्मला ने उसे मारना-पीटना शुरू कर दिया।

एक दिन, लेखक के घर पर आए रिश्तेदार ने रुपये की चोरी का प्रपंच रचा और बहादुर पर चोरी का आरोप लगाया। इस आरोप से बहादुर को गहरा आघात पहुँचा और उसकी स्थिति और भी खराब हो गई। बार-बार के दुर्व्यवहार और निराशाजनक परिस्थितियों के कारण, बहादुर ने अंततः घर छोड़ दिया।

बहादुर के चले जाने के बाद, लेखक और उसके परिवार को पछतावा हुआ। उन्होंने महसूस किया कि बहादुर की सेवाएँ और उसकी ईमानदारी का सही मूल्यांकन नहीं किया गया। इस घटना ने सबको आत्ममंथन की ओर प्रेरित किया और उन्होंने अपने व्यवहार की समीक्षा की। कहानी में बहादुर की मासूमियत, कर्मठता और सम्मान का चित्रण किया गया है, जो अंततः कहानी के पात्रों को अपने गलत व्यवहार को समझने पर मजबूर करता है।

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